Short Essay on 'Peacock' in Hindi | 'Mor' par Nibandh (350 Words)
मोर सर्व पक्षियों मे सबसे सुंदर पक्षी माना जाता है और उसे पक्षियों का राजा भी कहा जाता है। भारत का राष्ट्रपक्षी मोर ही है। मोर ज्यादातर जंगल मे पाए जाते है।
मोर लगभग भारत के हर राज्य मे पाया जाता है। मोर पंख भी खूब जगह देखने को मिलते है। मोर को मयूर के नाम से भी जाना जाता है और वो देवी सरस्वती का वाहन है।
नर मोर की लम्बाई लगभग २१५ सेंटीमीटर तथा ऊँचाई लगभग ५० सेंटीमीटर होती है। मादा मोर की लम्बाई लगभग ९५ सेंटीमीटर ही होती है। नर और मादा मोर की पहचान करना बहुत आसान है। नर के सिर पर बड़ी कलंगी तथा मादा के सिर पर छोटी कलंगी होती है। नर मोर की छोटी-सी पूँछ पर लम्बे व सजावटी पंखों का एक गुच्छा होता है।
मोर के इन पंखों की संख्या १५० के लगभग होती है। मादा पक्षी के ये सजावटी पंख नहीं होते। वर्षा ऋतु में मोर जब पूरी मस्ती में नाचता है तो उसके कुछ पंख टूट जाते हैं। वैसे भी वर्ष में एक बार अगस्त के महीने में मोर के सभी पंख झड़ जाते हैं।
मोर एक अंडे देने वाला पक्षी है और वो कुछ दूरी तक उड़ भी सकता है।
मोर प्रारम्भ से ही मनुष्य के आकर्षण का केन्द्र रहा है। अनेक धार्मिक कथाओं में मोर को उच्च कोटी का दर्जा दिया गया है। हिन्दू धर्म में मोर को मार कर खाना महापाप समझा जाता है।
भगवान् श्रीकृष्ण के मुकुट में लगा मोर का पंख इस पक्षी के महत्त्व को दर्शाता है। महाकवि कालिदास ने महाकाव्य ‘मेघदूत’ में मोर को राष्ट्रीय पक्षी से भी अधिक ऊँचा स्थान दिया है।
बारिश के समय मे मोर का नाचना सब लोगों का ध्यान खिच लेता है। ज्यादातर श्रवण महीने के बारिश मे मोर नाचते देख कर मन खुश हो जाता है।
अंग्रेजी भाषा में मोर को ‘ब्ल्यू पीफॉउल’ अथवा ‘पीकॉक’ कहते हैं। संस्कृत भाषा में यह मयूर के नाम से जाना जाता है। मोर भारत तथा श्रीलंका में बहुतायत में पाया जाता है। मोर मूलतः वन्य पक्षी है, लेकिन भोजन की तलाश इसे कई बार मानव आबादी तक ले आती है।